शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

नेताजी की उदारता

क्षेत्र में नेताजी कि उदारता कि चर्चा इन दिनों सरेआम हो रही है कारण कि कोई अगर उनसे चवन्नी की मांग करता है तो अठन्नी दे रहे हैं और अठन्नी कि मांग करने पर रूपया दरअसल नेताजी का विचार पांच साल किये क्षेत्र की उपेक्षा का छतिपूर्ति कर देने का है विपक्ष अकसर उनपर क्षेत्र कि उपेक्षा करने का आरोप लगेता हैं लेकिन डोलड्रम जी(नेताजी) इसे विपक्ष का दुष्प्रचार करार देते हैं उनकी दरियादिली को लोग अक्सर चुनाव से जोड़ कर देखते हैं लेकिन मेरा मानना है है कि उनका ह्रदय परिवर्तित हो गया है देखते नहीं कितनी तल्लीनता से वे लोगो की सेवा में जुटे हुए हैं भाई ह्रदय तो किसी का कभी भी परिवर्तित हो सकता है फिल्मो में जब हो सकता है तो वास्तविक जीवन में क्यों नहीं हो सकता है देखते नहीं भाई लोग फिल्मों में कितनी गरीबों एवं असहायों की सेवा किया करते हैं बाल्मिक का जब ह्रदय परिवर्तित हो सकता है अंगुलिमाल का हो सकता है तो नेताजी का ह्रदय क्या पत्थर का बना है जो गल नहीं सकता है माना कि एक -दो दर्जन मुक़दमा उनपर चल रहा है लेकिन विधायक बनकर वह उसका प्रायश्चित भी तो कर रहे हैं मेरा मानना है की कड़क एवं रोबदार छवि ने अगर उदारता धारण की है तो वह जरुर क्रांति लाकर मानेगी कुछ नहीं तो नेताजी शराब का भठ्ठा ही खोलवा दिए तो कईयों का कल्याण हो जायेगा युवकों को शराब बेचने का काम मिल जायेगा और लोगों को गला तर करने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा वैसे नेताजी ने छोटे- बड़े बाल- वृद्ध सभी की किश्मत को चमकाने का वादा अपने चुनावी घोषणा पत्र में किया है और कहा है की वे प्रयास करेंगे कि अपहरण उद्योग जो नीतिश के शासनकाल मंदी में चला गया है उबरे जरुरी हुआ तो इसमें जन डालने के लिए प्रोत्साहन पैकेज दिलाने का प्रयास करेंगे उन्होंने युवकों से कहा है कि वे पोस्टर एवं बैनर पूरी तल्ल्निता से ढोयें चुनाव जितने के बाद वे हर हर युवक को काम देंगे उन्होंने गर्जियानो से कहा है कि अगर वे अपने बच्चे को जीवन में सफल देखना चाहतें हैं नैतिकता-वैतिकता का पाठ पढ़ाना बंद कर दें क्या हम नेता नैतिकता का पालन करते हैं अरे सत्याचरण करने वाले माछी मारते हैं मांछी नेता नहीं बनते

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