गुरुवार, 3 मार्च 2011

यह देश है वीर घोटालेबाजों का

जब भी मैं यह गाना सुनता हूं कि यह यह देश है वीर जवानों का तो मेरा अंग फड़कने लगता है । मैं वीरतापूर्ण कार्यों को खोज में रोड पर चला जाता हूं। दंगा- फसाद होने की संभावना तलाशता हूं। तिल को ताड़ बनाता हूं लेकिन सब बेकार चला जाता है। फिर सोंचता हूं इस देश के लोग इतना कायर कब से हो गए हैं। क्या शांति का वातावरण उन्हें बोर नहीं करता ? क्या लोग मनोरंजन के महत्व को जीवन में भुलते जा रहें हैं। नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें कुछ करना चाहिए वरना मेरी प्रतिभा दबी रह जाएगी । मेरी किंकर्तब्यविमूढ़ता पर राष्ट्र मुझपे थुंकेगा।
आज पूरा देश घोटालामय हो गया है। जहां देखो वहां घोटाला। अलाना घोटाला फलाना घोटाला। घोटालों का इतना प्रकार हो गया है कि उन्हें याद रखने के लिए रट्टा लगाना पड़ रहा है।
मैं अक्सर सोंचता हूं इस देश के लोगोें को घोटालों से इतनी नफरत क्यों है। क्या घोटाला करना बच्चों का खेल है? क्या इसे कमजोर दिल इनसान कर सकता है ? नहीं घोटाला बहादुरी की मांग करता है। इसे शेरे दिल इनसान हीं कर सकता है। शेर घोटाला करता है और सियार हुआऊ-हुआऊं करते हैं ।इस देश में शेरे दिल इनसान कौन है इसे बताकर मैं आपकी प्रतिभा दबाना नहीं चाहता हूं। आप खुद प्रतिभावान हैं। नेताओं से लोग अपनी बेवजह तुलना करते हैं। लेकिन नेताओं जैसे हिम्मत दिखाने में लोगों को अपनी नानी याद आ जाती है। जिसमें रिस्क उठाने की क्षमता नहीं वो क्या खाक तरक्की करेगा।
एक बात मैं आपको बताऊं जब भी मैं यह देश है वीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का सुनता हूं तो मेरा रोम-रोम देशभक्ति से सराबोर होने लगता है। आखिर डेढ़ अरफ की फौज जिसकी देख- रेख करने वाली हो उसका कोई बाल बांका कैसे कर सकता है। आप पूछेंगे इस देश में फिर आतंकवादी हमले क्यों होते हैं? घोटाला क्यों होता हैं? तो इसका उत्तर है कि हम इसे होने देते हैं। फिर आप पुछेगें कि हम ऐसा क्यों होने देते हैं? तो इसका उत्तर है कि हम बहुत शरीफ लोग हैं। फिर आप पुछेंगे कि हम इतना शरीफ क्यों हैं ? तो उत्तर है शरीफ बनना हमारी मजबूरी है। फिर लोग पुछेंगे कि शरीफ होना आपकी मजबूरी क्यों है। तो उत्तर है कि हम लुच्चा लफंगा नहीं कहलाना चाहते हैं। इसके बाद भी लोग आपके मुंह लगेंगे। लेकिन इसके बाद आपका उत्तर होना चाहिए कि हम छोटे लोगों के मुंह नहीं लगते इसलि चुप रहो।
हां तो मैं बात कर रहा था देशभक्तों की ।तो सूनिए देश भक्ति चालिसा । काॅमन वेल्थ गेम में लाखो करोड़ का घोटाला हुआ वह भी किसी देश भक्त के जेब में गया है। आदर्श घोटाले ने जो आदर्श रखा वह किसी देश भक्त के चलते हीं हो सका। आज जो सड़क बनती है दूसरे दिन टूट जाती। वह किसी देश भक्त के द्वारा हीं बनायी गई होती है। देशभक्तों के चलते हीं सरकार द्वारा जारी किया गया एक रूपया जनता तक 15 पैसे पहुंचता है। देश भक्तों के हित में हीं दहेज हत्या केस कड़ाई से नहीं लागू हो पाता। देशभक्तों के हीं चैरी, डकैती एवं अपहरण उद्योग फल-फूल रहा है। आखिर देश भक्ति के चलते हीं लाखों -करोड़ो बच्चे काम पाते है। वरना दो कौड़ी पर भी उन्हें कोई नहीं पूछता और लोग बाल श्रम का विरोध करते रह जाते। देश भक्तों का हीं पैसा स्विस बैंक में जमा होता है। ताकि आड़े समय में देश के काम आ सके। इन दिनों लोग काला धन को देश में वापस लाने के लिए लामबंद हो रहे हैं। रामदेव जी तो देश की प्रतिष्ठा को खाक में मिलाने पर तुले हुए हैं। क्या वे नहीं चाहते कि देश अपने काल धन के लिए संपूर्ण विश्व में जाना जाए। आखिर ये लोग क्यों नहीं समझते की स्विस बैंक में पैसा जमा होने से देश का मान बढ़ता है। हम सीना तान कर दुनिया वालों से कह पाते हैं कि देश गरीब नहीं हैै बल्कि देश के पास इतना पैसा है कि उसे रखने लिए देश में रखने की जगह नहीं है।
ऐसा नहीं देश भक्तों की बाढ़ आज हीं आई हो । पहले भी कुछ देश भक्तों के चलते देश गुलाम रहा। ऐसे हीं देशभक्तों के चलते अंगेज अफसरों ने अपनी और कुछ देश भक्तों की तिजोरियां भरीं।
इसके आलावे भी बहुत से देश भक्त हैं जो अपने-अपने ढंग से देश की सेवा करते हैं जैसे चरस बेंचकर , हेरोइन बेंचकर और कालाबाजारी करके आदि।

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