मंगलवार, 31 मई 2011

हास्य कविता

वादों की जो झड़ी लगाए वो माननीय है।
आश्वासन पर जो आश्वासन पिलाए वो माननीय है
जो नोटों का सूटकेश घर लाए वो माननीय हैं
वादा जो कभी न निभाए वो माननीय है
बिना वजह जो हरदम मुस्कुराए वो माननीय है
बात-बात में जो घडि़याले आंसू बहाए वो मानाीय है
ठेकेदारों से जो कमीशन खाए वो माननीय है
घोटाले का जो कारनामा दिखाए वो माननीय है
चुनाव जितने पर जो क्षेत्र में न आए वो माननीय है।
एसपी कलेक्टर को जो तबादले का भय दिखाये वो माननीय है।
दूसरों के बीवी का जो विदेश घूंमाये वो माननीय है।
जिसके आगे पीछे पीछे चमचे चक्कर लगाएं वो माननीय है।
संसद में जो जूते चप्पल चलाए वो माननीय है

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