गुरुवार, 30 जून 2011

रामभरोसे दूर होगी महंगाई।

मेरे देश के लोग भी महान हैं। कारण कि यहां जब भी महंगाई बढ़ती है लोग ऐसा हो- हल्ला करते हैं मानो पहाड़ टूट पड़ा हो। मानो पहली बार इस देश में महंगाई बढ़ रही हो। महंगाई से लोग जब इतना विचलित हो जाते हैं तो खुदा न खास्ता कभी विदेशी आक्रमण हो गया तो लोग क्या करेंगे । वैसे पाकिस्तान एवं चीन जैसे पड़ोसियों के रहते विदेशी आक्रमण होने की संभावना कम हीं है। मैं लोगों से अक्सर कहता हूं भाई जमाने के साथ बदलो ।क्या आज भी चवन्नी अठन्नी में बोरा भर समान खरीद लाने की बात सोंचना यथार्थ में जीना कहा जाएगा ?
वैसे तो दर्शनशास्त्र में आस्तिकों एवं नास्तिकों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया गया है। लेकिन मेरी नजर में आज के समय में आस्तिकों एवं नास्तिकों के वर्गीकरण का एकमात्र आधार मूल्यवृद्धि होनी चाहिए। जो महंगाई में आस्था रखता है वह आस्तिक है और जो आस्था नहीं रखता हो वह नास्तिक है। वैसे देखा जाए तो यह वर्गीकरण पहले वाले वर्गीकरणों का विरोधी नहीं है। आवश्यकता है मेरे जैसे समझदार होने की।जिन्हें ईश्वर के वचनों में आस्था है वे मंहगाई का रोना नहीं रोते। वे अपने आपको महंगाई के सामने समर्पण कर देते हैं। और कहते हैं कि शायद भगवान कि यहीं इच्छा है।
अब इसके समाधान पर विचार करते है।मेरा तो शुरू से मानना है कि हिन्दूस्तान की अधिकांश समस्याओं का समाधान राम भरोसे हीं हो सकता है। हो-हल्ला करने से कुछ लाभ होने वाला नहीं है। रामदेवजी एवं अन्ना हजारे का भीे मेरी मुफ्त सलाह है कि देशवासियों को चैन से रहने दें। देश में भ्रष्टाचार हव्वा मत खड़ा करें। मेरा दोनो महानुभावों को सुझाव है कि वे ध्यान की अवस्था में चले जाएं। ध्यान से प्रत्येक समस्या का समाधान संभव है। दूसरी बात आप दोनों भ्रष्टाचारियों को मांफ कर दें। तब भ्रष्टाचारी का हृदय आपके प्रति सम्मान से भरेगा। आपलोग बड़े हैं तो बड़प्पन दिखाएं। अनशन पर न अड़ें। देश अपना है। नेता अपने हैं। जिसे आपलोग घोटाला समझ रहे हैं। वह दरअसल घोटाला है हीं नहीं वह तो सुविधासुल्क है। आपकी सोंच में और भ्रष्टाचारियों के सोंच में अंतर का प्रमुख कारण अलग-अलग स्कूलों में पढ़ना है। शिक्षा में एकरूपता लाइए एवं द्वैत को दूर भगाइए। सुना है कि आपलोग जन्तर- मन्तर पर अनसन करने जा रहे हैं। आपके देखा- देखी देश में और लोग देश के कोने में अनशन करेंगे।जरा सोंचिये तो अगर इतने लोगअनशन करेंगे तो विदेशों में यहीं न संदेश जाएगा कि देश में खाने को नहीं है। तो क्या आप देश की नाम कटवाइएगा। इसलिए मेरी आपको सलाह है कि मूदहूं आंख कतहूं कुछ नाहीं। हमारी सरकार इनसान की इच्छा न सही भगवान की इच्छा का तो सम्मान कर रही है। कारण की अपून की सरकार को भगवान भरोसेे हो गई है। वह यह भी मानती है कि हिंदूस्तान की समस्याओं का समाधान रामभरोसे हीं हो सकता है। यहां की समस्याओं का समाधान किसी अन्ना एवं रामदेव से नहीं वाला है। समस्याओं के समाधान के लिए किसी अचेतन शक्ति की दरकार है। मंहगाई के मामले में सरकार सबसे ज्यादा भगवान भरोसे है। केन्द्र की सभी सरकारों ने भगवान के प्रति वहीं श्रद्वा कायम रखी है। चाहे वह किसी पार्टी की सरकार क्यों न हो। जबतक सरकार जोर लगाती रहेगी तबतक मंहगाई नहीं जाने वाली। क्योंकि तबतक भगवान समझ रहे हैं कि सरकार अहंकार से भरी हुई है। उसकी औकात की थाह लगा हीं दे। ज्योंहीं वह द्रोपदी की तरह अहंकार छोड़ देगी भगवान दौड़े चले आएंगे। और महंगाई छूमंतर हो जाएगी।

मंगलवार, 28 जून 2011

चुटकुले

विष्णुजी -नारद सुना है पृथ्वीवासी अपनी पृथ्वी से बहुत प्यार करते हैं। मां की तरह पूजते हैं। पृथ्वी दिवस आदि मनाते हैं।
नारद- हां भगवन वे अपनी धरती से बहुत प्यार करते हैं। धरती का बोझ कम करने के लिए इन दिनों वे जोर-शोर से वृक्ष काट रहे हैं।

खास खबर
अन्ना ने बाबा के सामने रखी शर्तें- कोई शर्त होती नहीं प्यार में मगर प्यार शर्तों पर तुमने किया।
अच्छी सेहत की गारंटी नहीं छरहरी काया- तो क्यों फिर खाने पर लगाम लगाएं।
जीन में बदलाव से दूर होगी बीमारी- तो इसके लिए ओझा के पास न जाना होगा।
पड़ोसियों से बातचीत क्यों जरूरी- बातचीत नहीं करने पर छुपकर बात सुनेंगे।
कहां से आए 45 लाख के गहने- वो तो मैने था पहने।

सोमवार, 27 जून 2011

गायब होने की मशीन

खबर है कि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी वस्तु बनाने में सफलता पाई है जिसके आधार पर देर सबेर ऐसा आवरण वैज्ञानिक रूप से बनाना संभव होगा, जिसे पहनने के बाद कोई देख न सके। गायब होने की मशीन खोज की संभावना पर देश में मिली-जुली प्रक्रिया हुई है। देश कहीं गम तो कहीं खुशी का महौल है। संभावित जैकेट के पक्ष में और विपक्ष में जगह-जगह रैली निकाली गई। लफुआ एंड कंपनी ने इसके पक्ष में रैली निकालकर सरकार से मांग की सरकार लफुओ की मांग के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं। और प्रत्येक लफुओं को एक-एक जैकेट मुफ्त बंटवाएं । वहीं शादी-शुदा औरतों ने कहा कि ऐसा कोई जैकेट उन्हें पतियों को काबू में रखने में बाधक सिद्व होगा। और वर्षों से चली आ रही पुरूषों पर उनका वर्चस्व समाप्त हो सकता है। हमारे संवाददाता बड़बोलन गुरू ने गायब होने की मशीन या जैकेट पर वीआईपी लोगों की राय जानने की कोशिश की। प्रस्तुत है उसका सारांश।योग गुरू बाबा रामदेव के एक प्रतिनिधि ने इस खोज पर वैज्ञानिकों को बधाईयां दी। बाबा के भक्त ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि देर से हीं सही वैज्ञानिकों की खोज निश्चित रूप से क्रांतिकारी है। वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोग में निश्चित रूप से योग का भी प्रयोग किया होगा। उन्होंने देर से हुई खोज पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अगर वैज्ञानिकों ने इसे पहले खोज लिया होता तो बाबाश्री को महिला का सलवार -समीज नहीं पहना पड़ता। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी खोज की खबर अगर हमें पहले हो गई होती तो वे बाबा श्री से सत्याग्रह को कुछ समय समय के लिए टरकाने का आग्रह करते। हमलोग बाबा से अनुरोध करते कि अभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई का समय नहीं आया है। सही वक्त आने पर उसका शंखनाद करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि अगर अदृश्य होने का जैकेट वैज्ञानिकों ने पहले बना दिया होता बाबाश्री उसे पहनकर हीं सरकार से वार्ता के लिए पांच सितारा होटल जाते।
उधर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि ने भी देर से हुए इस खोज पर निराशा व्यक्त की है। सरकार के प्रवक्ताने कहा कि अगर यह खोज पहले हो जाती तो सरकार कई मुसिबतों से बच जाती। और भ्रष्टाचार में संलिप्त मंत्रीयों को इस्तीफा भी नहीं देना पड़ता। कारण की वे सार्वजनीक रूप से इस्तीफा दे देते और जैकेट पहनकर कुर्सी पर बैठते भी। फिर तो जेल की सजा उन्हें सजा नहीं मजा हो जाती। जब दिल चाहा तो जेल में रहा और जब दिल चाहा जैकेट पहनकर बाहर निकल आया।
यहीं नहीं उसने कहा कि केंद्र के चारों मंत्री उस जैकेट को पहनकर हीं बाबा रामदेव की आगवानी करते। जैकेट रहने की स्थिति में रामलीला मैदान वाली शायद स्थिति हीं नहीं आती। वैसे प्रवक्ता ने आशंका जाहिर की कि बाबा रामदेव भी उस जैकैट को पहनकर आंख-मिचैली का खेल भी खेल सकते थे। बिना जैकेट के जब उन्होंने इतना छकया तो जैकेट पहन लेते तो भला क्या होता। यह भी होता कि पांच हजार पुलिस के जवान उस जैकेट को पहनकर आते और बताते कि उन्होंने डंडे नहीं बरसाये भीड़ यूं हीं रामलीला मैदान से भाग खड़ी हुई।
अन्ना हजारे की टीम ने भीे ऐसे जैकेट का स्वागत किया है। और कहा है कि अगर ऐसा जैकेट सोलह अगस्त से पहले बन गया तो निश्चित रूप से सत्याग्रही उसे पहनकर बैठेंगे। और अगर दिन में नहीं पहने तो रात को तो पहन हीं लेंगे। क्या पता कब पुलिस आ धमके। जैकेट पहने रहने से वे पुलिस के नजरों से तो बच जाएंगे न।

केंद्र पर जमकर बरसे बाबा रामदेव

खास खबर
मूड खराब है तो शाॅपिंग करें फटाफट- चाहे घर -द्वार हीं क्यों न बेचना पड़े।
कोई भी बन सकता फैशन क्वीन - बस थोड़ा सा वस्त्र कम करके।
मीडिया का मतिभ्रम-क्या निगमानंद के मामले में दिखाई दिया कम।
केंद्र पर जमकर बरसे बाबा रामदेव- हां मानसून भी आ गया है।
आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव- कुछ नई बात कह रहे हैं क्या आप।
लोगों का सहयोग जरूरी- तभी हम लूट को सही ढंग से अंजाम दे सकते हैं।
दिल्ली में हो रही जांच, फरीदाबाद में गर्भपात- आउटसोर्सिंग का जमाना है न।
लश्कर और अमेरिकी एजेंसी में एक साथ काम कर रहा था हेडली- बहुमुखी प्रतिभा का धनी होगा।
तालिबान और अमेरिका के बीच तीन बार हो चुकी है गुप्त वार्ता- फिर अमेरिका क्यों कहता है कि तालिबान है उसे नहीं भाता।
जवान दिखने के लिए क्या-क्या नहीं किया-यहां तक कि मैं अभिषेक का कपड़े पहना।
नेकी कर, दरिया में डाल- बाल का खाल न निकाल।

शनिवार, 25 जून 2011

धोनी का 645 रूपए का चेक बाउंस

हाथ से छूटा कैच और फिसल गया मैच- मतलब खीरा के लिए हीरा की सजा मिली।

अलकायदा की छवि को लेकर चिंतित था ओसामा- हां खूनखराबे का वह शुरू से विरोधी था।

भेंजा फ्राई 2 को लेकर बंटे हुए हैं दर्शक-शायद वे एकता के महत्व को नहीं जानते।

होठ बताते हैं आपका सेक्सी स्वभाव- देखने पर कि छूने पर।

पुरूष का चेहरा देख महिलाएं बता देती हैं कि- यह दगाबाज है।

ब्रेकने ने बिकनी में समुद्र में बिताया एक दिन- क्या उनके पास कपड़ा और घर दोनों नहीं था ?

हिन्दी का प्रसार जरूरी- अंग्रेजी बोलकर

धोनी का 645 रूपए का चेक बाउंस हुआ- ब्रेकिंग न्यूज तो है हीं।

आर्थिक आतंकवाद फैला रही है सरकारः आतंकवादियों का पैसा बांट रही है क्या?

शुक्रवार, 24 जून 2011

चुटकुले


1‐ संतोष-सक्सेनाजी मेरे घर न हीं आएं तो हीं ठीक है।
मंतोष -ऐसा क्यों?
संतोष-क्योंकि उनको डाॅक्टर ने किस को मिस नहीं करने की सलाह दी है और वे अभी क्वांरा हैं।

2‐ पति -डार्लिंग मरने से पहले मैं चाहता हूं कि कुछ तुम्हारे लिए कुछ कर जाऊं।
पत्नी- हां अपनी जमीन जायदाद मेरे नाम कर दा,े तुम्हारे भाई बड़े झगड़ालू हैं।

खास खबर-
सिंगूर में लूट लिए गए टाटा- तब नाहक न ममता खराब कानून व्यवस्था का पहले हो हल्ला करती थीं।
हाय रे महंगाई- बड़े- बड़े को चूना लगाई
सबीना पार्क पर भारत का कब्जा- पर पर विदेशी भूभाग पर कब्जा जमाना भारत की विदेश नीति के खिलाफ है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की कॅट आॅफ लिस्ट


आज मेरे बेटे ने मेरे मुंह पर कालीख पोत दी। मैं कहीं का नहीं रहा। किसी को मूंह दिखाते हुए मुझे शर्म आती है। सुबह पार्क जाना भी छोड़ दिया है। अकेल बेटा है इसलिए दूसरे से आशा करना हीं व्यर्थ है। आज अगर दूसरा बेटा होता तो इस तरह आशा नहीं टूटती। पहला नही ंतो दूसरा पिता के अरमानों को पूरा कर हीं देता। इस तरह मेरे जितने अधिक पूत्र होते उतना मेरा सर उंचा रहने की संभावना होती। इसलिए मैं लोगों से दूसरा बच्चा पैदा करने की अपील करता हूं। मैंने समाज हित में यह अपील कर रहा हूं, नहीं मानोगे तो पछताओगे।
आप यह सोंचते होंगे कि आखिर मेरे बेटे ने ऐसा क्या कर दिया कि मेरा सर शर्म से गड़ गया। तो लीजिए मैं रहस्य से परदा हटा हीं देता हूं। उसका चयन दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित ंिहंदू कालेज में नहीं हुआ। जबकि पड़ोसी चंदूलाल के बेटे ने बाजी मार ली। अब आप हीं बताइए। क्या चंदूलाल के सामने मेरा सर शर्म से झूक नहीं जाएगा? क्या वे मेरे सामने डींग नहीं हांकेंगे। वह पूत्र क्या जो पड़ोसियों के सामने पिता का सर झूकादे।
लेकिन ऐसे बेटे होंगे तो क्या पिता का सर शर्म से नहीं झूक जाएगा। नालायक दिन रात पढ़ाई करता था और 99 प्रतिशत मार्कस लाया। आखिर मैंने उसके लिए क्या कुछ नहीं किया।। मेरे जीवन का एक हीं उद्देश्य था उसके भविष्य का निर्माण करना। अब जब उसको अपने भविष्य की चिंता नहीं तो मैं क्या कर सकता हूं। अब छोटा तो है नहीं उसको डाॅटूं- फटकारूंगा। पत्नी कहती है कि बेटे को कुछ मत कहिएगा वह अब बड़ा हो गया है। कुछ कह देगा तो इज्जत चली जाएगा। अब पत्नी को कौन समझाए कि इज्जत रही हीं कहां कि जाएगी।
ईश्वर के विधान भी अजब-गजब होता है। आखिर मेरे चढ़ावे क्या कमी रह गई थी। मैं और पत्नी दोनों ने शत्प्रशित अंक के लिए चढ़वा चढ़ाया था। पर उनके दरबार में सुनवाई नहीं हुई। और तो और नाश्तिक चंदूलाल के बेटे पर कृपा बरसा दी।
मैं आज आपको एक बात और बता देता हूं कि मैं हमेशा से परिवार नियोजन के खिलाफ रहा हूं। लेकिन मेरा श्रीमतीजी के सामने एक नहीं चलती। यकीन मानीए अगर मैं अपनी पत्नी की बात नहीं मानी होती तो आज इतना हताश-निराश नहीं होता। कहीं- कहीं पत्नीव्रता होना नूकसानदेह भी होता है। मैं जब भी टीम इंडिया खड़ा करने की बात पत्नी से कहता, वह हमेशा मेरा मुंह यह कहकर चूप करा देती की जब तुम एक बच्चे को खिला नहीं सकते तो तुम्हे दूसरा बच्चा पैदा करने का क्या हक है ? उस नासमझ को कौन समझाए हम किसी को खिलाने वाला कौन होते हैं। सबका पालन पोषण करने वाला भगवान है। ईश्वर के विधान में हस्तक्षेप करना कहां कि बुद्विमानी है ? मैं अपना अनुभव बताऊं, आपके जितने अधिक बच्चे होंगे। उतना आपका का भविष्य सूरक्षित होगा। बूढ़ापे में एक अगर दूत्कारेगा तो दूसरा पूचकारेगा। अगर सारे के सारे अच्छे हो गए तो समझो पांचों अंगूलियां घी में। अधिक बच्चे होने की स्थिति में आप अपनी राजनीति भी चमका सकते हैं। यानी एक को पूरस्कृत करके दूसरे को तिरस्कृत करके अपनी दाल- रोटी की व्यवस्था की जा सकती है।अगर एक आपका अरमान पूरा नहीं करेगा तो दूसरा कर देगा।
मैं करियर कांउसलर से भी इस संदर्भ में सलाह ली। पूछा आखिर कहां कमी रह गई उसकी पढ़ाई में तो वह मुझे हीं लगा समझाने। कहने लगा उसमें कहीं कोई कमी नहीं है। कमी है तो आपकी अपेक्षाओं में। उसका बेटा नहीं है न। देखऊंगा जब वह अपने बेटे से अपेक्षा नहीं रखेगा। उसका अपना बेटा होता तो इस तरह वह मूफ्त सलाह नहीं दे देता। दूसरों का उपदेश देना आसान है। जब अपने पर बात आती है तो नानी याद आ जाती है।

गुरुवार, 23 जून 2011

दिग्गीलीक्स

अगर विश्व राजनीति में विकिलीक्स ने भूचाल ला दिया है तो भारत में भी दिग्गीलीक्स ने कमाल कर दिया है। नित नए खुलासे और सलाह के लिए लोग दिग्गीलीक्स डाॅटकाॅम पर जाना नहीं भूलते। आप कहेंगे कि मैं ये क्या पहेली बुझा रहा हूं। तो लो भाई मैं असली बात पर आ रहा हूं। मैं बात कर रहा हूं अपने दिग्गविजय सिंह जी की। भले हीं दिग्गीदादा कोई बुरा कहता हो लेकिन मेरे विचार में वे एक संवेदनशाील व्यक्ति हैं। उन्हें दूसरों का दुःख देखा नहीं जाता। जो कोई दुखी दिखा उसपर सहानभूति दिखा देते हैं। चाहे ओसामा को ओसामाजी कहना हो या अन्ना को अनशन न करने की सलाह देेना हो। उनका ताजातरीन खुलासा यह है कि अगर अन्ना ने अनशन किया तो उनका हश्र बाबा जैसा होगा। इसके पहले उन्होंने अन्ना को सलाह दी थी कि अन्ना की सेहत के लिए अनशन ठीक नहीं है। हालांकि उस समय कुछ लोगों को यह बड़ा अजीब लगा था लेकिन मुझे यह बड़ा सजीव लगा। क्योंकि मैं भी दिग्गीदादा की तरह अन्ना का हितैषी हूं। जो लोग अन्ना को प्रोत्साहित कर रहे हैं वे अन्ना को बाबा रामदेव और निगमानंद बनाना चाहते हैं। आखिर अन्ना को भी बाबा रामदेव एव निगमानंद का हश्र का ख्याल क्यों नहीं आ रहा है? क्यों अन्ना सरकार के कभी नरम एवं कभी गरम रूख को देखकर आने वाले तूफान को नहीं भांप रहे हैं। दूसरी बात देश में दिग्गीदादा के सिवा दूसरे को अन्ना की सेहत का क्यों ख्याल नहीं आया? आखिर उनकी उम्र का ख्याल तो लोगों को करनी हीं चाहिए। अन्ना के अनशन करने से नहीं रोकने से प्रतीत होता है कि हमारे समाज में बड़े-बूढ़ों के प्रति सम्मान कम हो रहा है। माना कि अन्ना जिद्द कर रहें हैं। लेकिन उनको मनाया भी तो जा सक सकता है। क्या बूढ़ापे में बाल एवं वृद्व में कोई अंतर रह जाता है। क्या बच्चे जिदद् करने पर मान नहीं जाते। अब सरकार और अन्ना दोनों हीं जिद्द करेंगे तो बात कैसे बात बनेगी। दिग्गीदादा से भला कौन बेहतर जानता है कि सरकार अन्ना के मामले में भी जिदद् करेगी। इसलिए एडवान्स में उनके सेहत को लेकर चिन्तित हैं। उन जैसे संवेदनशाील लोगों के अभाव के चलते देश में बड़े-बूढ़े आंदोलन की राह पकड़ लेते हैं। और समाज उनकी सेहत एवं उम्र का ख्याल किए वगैर प्रोत्साहित करता है।
भला अनशन स्थल पर लाखों की भीड़ अन्ना को गुमराह करने के लिए हीं न जुट रही है। आप कहेंगे की जनता अन्ना के व्यक्तित्व से प्रभावित ये लोग भ्रष्टाचार के विरूद्व एकजुट हुए हैं। भईया इतना भी व्यक्तित्व से प्रभावित मत हो कि अपनी सेहत का ख्याल न रहे। क्योंकि जान है तो जहान है।
आप कह सकते हैं कि अन्ना देश की सेहत के लिए अपनी सेहत का ख्याल नहीं कर रहे हैं। यह भी कोई बात हुई। क्या भगवत् भजन के समय में भ्रष्टाचार- भ्रष्टाचार भजना ठीक है ? क्या अन्ना माया के वशीभूत नहीं हैं? क्या अन्ना यह दोहा नहीं सुने हैं राम-नाम की लूट है लूट सके तो लूट वरना अंत समय पक्षताएगा जब प्राण जाएंगे छूट। अपना काम दिग्गीदादा की तरह समझाना है अगर नहीं मानेगे तो खुद सबक सिख जाएंगे। जैसा कि निगमानंदजी और बाबा रामदेवजी सीख गए। वैसे मैं अपनी बात बता दूं मैं हमेशा विजेता के पक्ष में रहा हूं। जिसकी बात बनती नजर आएगी उसी की तरह हो जाऊंगा। मतलब अन्ना का जलवा रहा तो अन्ना की और अगर सरकार ने डंडा फटकारा तो सरकार की ओर क्योंकि भैया मुझे डंडा नहीं खाना है। मुझे डंडे से बड़ा डर लगता है।

बुधवार, 22 जून 2011

गेंदबाजों ने करवाई वापसी

बने रहें शिखर पर - मै भोजन-पानी पहुंचाऊंगा।

प्रवीन कुमार को पहली पारी में गेंदबाजी से रोका गया- जोर-जबरदस्ती करना कोई ठीक बात है क्या?

ढ़ाई दशक बाद भी नहीं सुधरी परिवहन व्यवस्था- ढ़ाई सौ साल दशक में भी मत आशा कीजिए।

सूर्य की गतिविधियों पर टिकी नजर -क्या करें किसी पर भरोसा हीं न रहा।

गेंदबाजों ने करवाई वापसी- और बल्लेबाजों ने लूटिया डूबोई।

पाकिस्तान से पंगा न ले भारत - वरना वहां दंगा हो जाएगा।

निगम के एएसआई को रिश्वत लेते रंगे हाथ धरा- और खेल घोटाले के बड़े पंछी घूम रहे हैं आजाद।

स्ट्रीट लाईटों का रखरखाव निजी हाथों में- जल्द हीं सरकार सामाजिक दायित्व का रख रखाव भी निजी हाथों में सौंप देगी।
कागजों में फोटो लगाये तो हरियाली कहां से आएगी- फोटोशाॅप से।

भ्रष्टाचार मिटाओ इनाम पाओ- इसके तहत उत्तराखंड सरकार निगमानंद जी को और केंद्र सरकार रामदेवजी को पूरस्कृत कर चुकी है।

शनिवार, 18 जून 2011

मैं पेट भर मलपूआ तोड़ूं

साईं इतना दीजिए
घर में मेरे न समाय
मैं पेट भर मलपूआ तोड़ूं
पड़ोसी भूखा मर जाय

व्यंग्य के सप्तरंगी छटा
सचिन-धोनी को सीखाऊंगा नहीं बल्कि सीखूंगाः फ्लेचर- मतलब की करोड़ो रूपया आप सीखने का ले रहे हैं।
आगे कर्ज और महंगा होगा- ठीक तो है कर्ज लेना कोई अच्छी बात थोड़े है।
रामलीला मैदान में बाबा रामदेव ने मचाया था उत्पात- और पुलिस ने तो केवल दोस्ती का बढ़ाया था हाथ।

लैला मजनूवाला वाला यहां जज्जबात होता है

यारों मेरी नजर में वो शहर खास होता है
जिस शहर कोई पार्क होता है
गांव की जरूरत अब नहीं
भीड़ में अकेला हीं सही
रिश्तों-नातों की मर्यादा ना सही
पर गर्ल फ्रेंड का हाथों में हाथ होता है।
आई लव यू का यहां राग होता है
हंसी ठिठोली का हीं केवल फाग होता है
हर तरह देखो तो अपना हीं राज होता हैै
फिल्मों में दिखेगा क्या इतनी रंगीनी
सेंसर की कैंची चलेगी यहां नहीं
क्योंकि यहां तो अपना समा्रज्य होता है
लैला मजनूवाला वाला यहां जज्जबात होता है
मुन्नी को बदनाम करदे किसी में दम नहीं
कन्याभ्रूण हत्या होती होगी कहीं
पर यहां तो मून्नी के हीं सर पर ताज होता है
बेचारा मून्ना तो केवल गुलाम होता है।

शुक्रवार, 17 जून 2011

क्या अन्ना तानाशाह हैं ?


बाबा रामदेव एवं अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से राजनीतिक दल पूरी तरह आतंकित है। देश का कोई भी राजनीतिक दल भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदार नहीं है वरना इसके खिलाफ अबतक कोई प्रभावकारी कानून बन गया होता। राजनेताओं के हाल के दिनों में आए बयानों से जाहिर होता है कि वह पूरी तरह से घबड़ा गए है। कारण की केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा जिस तरह अन्ना हजारे को तानाशाह एवं रामदेवजी को साम्प्रदायिक घोषित किया जस रहा है। उससे साबित होता है कि सरकार की मंशा मूल मुद्द सेे लोगों का ध्यान हटाने की है।
अगर सरकार यह सोंचती है कि ऐसा करके वह लोगों का ध्यान मूल मुद्दों से भटका देगी तो यह उसकी भूल है। क्योंकि जन आंदोलनों को ज्यादा दिन तक दबाया नहीं जा सकता है। जनआंदोलन अपनी परिणति तक अवश्य पहुंचते हंै। चाहे इसके बीच में कितने हीं पड़ाव क्यों न आए।
अगर सरकार यह सोंचती है कि संसद की सर्वोच्चता की बात करके भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की धार को कमजोर कर देगीे तो यह उसकी भूल है। कारण की जनता इस आधार पर नेताओं को मनवाकिफ करने की छूट नहीं दे सकती है। दूसरी बात संसद की गरिमा को किसी ने सबसे ज्यादा धूमिल की है तो वह स्वयं राजनेता हैं । चाहे वह संसद में अशोभनीय मुद्रा में आरोप-प्रत्यारोप हो या भ्रष्टाचार में उनकी संलिप्तता।
ऐसा नहीं कि देश का हर राजनेता भ्रष्ट है लेकिन ईमानदार नेताओं की संख्या बहुत कम है। यह भी हकीकत है कि सरकार स्वेच्छा से भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून नहीं बनायेगी। क्योंकि शायद हीं कोई नेता चाहेगा कि उसके अधिकार एवं प्रभाव क्षेत्र में कमी हो। ऐसा नहीं राजनेता भ्रष्टाचार की गंभीरता से अनभिज्ञ हैं । देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसकी गंभीरता को स्वीकारते हुए कहा था कि सरकार द्वारा जारी एक रूपया में से 15 पैसा हीं जनता तक पहुंचता है। लेकिन दुर्भाग्यवश आज देश के किसी दल के पास इसके विरूद्ध प्रभावकारी कानून बनाने के पहल करने की इच्छा शक्ति नहीं है।
अच्छा तो यह होता कि सरकार एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने वालों के बीच कोई सम्मानजनक समझौता हो जाता। लेकिन ऐसा होता प्रतित नहीं हो रहा है।यह कहना अभी जल्दीबाजी होगी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन जन आंदोलन बन चुका है। लेकिन यह हकीकत है कि भ्रष्टाचार से जनमानस त्रस्त है। जरूरत है तो लोगों को शिक्षित करने की।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने वालों को यह ध्यान रखना होगा कि सत्याग्रह के मूल सिद्धान्तों का वे जितना पालन करेंगे उतना हीं आंदोलन की सफल होने की संभावना अधिक होगी। सत्याग्रह जितना शादगीपूर्ण एवं शुद्ध आत्मा से होगा वह उतनी हीं प्रभावकारी होगी। निश्चित तौर पर अनशन स्थल पर जरूरी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए लेकिन अनशन स्थल इतना भी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित न हो कि सत्याग्रह स्थल कम पांच सितारा होटल ज्यादा लगे। उन्हें यह भी समझने की आवश्यकता हैै कि राजनीतिक दलों के सहभागिता से उनके आंदोलन की धार कमजोर होगी। कारण कि सरकार को इसे दबाने का नया रास्ता मिल जाएगा। अगर सत्याग्रह के मूल सिद्धान्तों का अक्षरशः पालन किया जाएगा जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था तो निश्चित तौर पर वह राजसत्ता को हिला देगा।

गुरुवार, 16 जून 2011

करोड़ो का तंबू गया बेकार

पूछे राष्ट्र एक सवाल
क्या सत्याग्रह रहा
कारगर हथियार
बताओ रामदेवजी का क्या हुआ हाल
करोड़ो का तंबू गया बेकार
एसी पंडाल का ना पूछनहार
बोल रही दिल्ली सरकार
निहत्थों पर लाठी बरसाना
है लोकतंत्र की शान
मचा हुआ है हर ओर घमासान
देखो लाइव आपरेशन किंचड़ उछाल
निगमानंद गये स्वर्ग सिधार
लिया न कोई उनका संज्ञान
मंत्री दे रहे हैं अलग-अलग बयान
कहते हैं आरएसएस के हाथ हैै
अन्ना की कमान
वे बन गये हैं तानाशाह
प्रधानमंत्री का बस एक जवाब
मुझे चुप रहने का है फरमान
सरआंखों पर हाईकमान।

यह देश हुआ बेगाना

स्वामी निगमानंद की करीब चार महीनों से जारी अनशन से हुई मौत जहां राजनेताओं के चरित्र को उजागर करती है। वहीं भ्रष्टाचार से मुक्ति केे लिए ढ़ोल पीट रहे समाजिक कार्यकार्ताओं की भी पोल खोल दी है। गंगा में अवैध उत्खनन के विरोध में अनशन कर रहे युवा सन्यासी की आखिर समाज ने क्यों सुध नहीं ली। क्या यह कहना गलत होगा कि समाज से संवेदना लुप्त होती जा रही है। निगमानंद के संदर्भ में जहां राजसत्ता अपने राष्टधर्म को नहीं निभा पायी वहीं समाज भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। यद्यपि मीडिया के माध्यम से हीं निगमानंद जी के मौत के बारे में हम जानकारी पाए लेकिन मीडिया ने भी निगमानंदजी के अनशन को वैसे नहीं लिया जैसा कि लिया जाना चाहिए था। अच्छा तो यह होता कि मीडिया में इस लो प्रोफाइल केस को अच्छा कवरेज मिलता। आखिर क्यों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपना समर्थन नहीं दिया । क्या यह मुद्दा सामाजिक सरोकार से जुड़ा नहीं था ? आखिर क्यों नहीं लोगों ने इसमें वैसी रूची दिखायी जैसा कि रामदेवजी एवं अन्ना हजारे के आंदोलनों में दिखाया गया। आखिर किसकी गलती से यह युवा सन्यासी असमय मौत के मुंह में चला गया। आखिर मोरारी बाबू एवं श्री रविशंकर ने इस युवा सन्यासी की सुध क्यों नहीं ली। अच्छा तो यह होता कि रामदेव जीे के साथ इस युवा सन्यासी से मोरारी बाबू एवं श्री श्री मिलते। उत्तराखंड सरकार ने आखिर निगमानंद जी को वैसी चिकित्सा सुविधा क्यों नहीं उपलब्ध कराई जैसा कि रामदेवजी को किया गया। मेरे यह कहने का मतलब यह नहीं है कि रामदेवजी को उच्चस्तरीय सुविधाएं नहीं उपलब्ध कराई जानी चाहिये या अन्ना हजारे एवं रामदेवजी ने भ्रष्टाचार के विरूद्व मुहिम छोड़कर कोई अपाराध किया है। बल्कि मेरे कहने का मतलब यह है इस देश में कृष्ण -सुदामा को एक नजर से देखा जाए। खासकर संत समाज एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं से ऐसी अपेक्षा तो की हीं जा सकती है। रामदेवजी का योग के क्षेत्र में योगदान महत्वपूर्ण है लेकिन वीआईपी के लिए आमजनों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए । हकीकत यह है कि अगर राजनीतिक इच्छा शक्ति होती तो कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए भी इस समस्या हल निकाला जा सकता था।
अब जब निगमानंद को जहर देकर मारने की बात सामने आ रही है। तो सरकार कर्तव्य बनता है कि वह इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए और दोषियों को सख्त सजा सुनिश्चित करे।

बुधवार, 15 जून 2011

मैं अपना पति सात कर रहीं हूं।

शर्माजी की पत्नी ने एक दिन
एकसाथ तीन लिपिस्टिक मंगाई
शर्माजी की बजट गड़बड़ाई
माथे पे पसीना आई
जबान कहने में लड़खड़ाई
फिर भी बात जुबान पर आई
और बोले डार्लिंग
इतना लिपिस्टिक का तुम क्या करोगी
आखिर एक दिन में मैं कितना लिपिस्टिक पीता हूं
वह बोली तुम अकेले थोड़े हो
तुम्हारे निठल्ले दोस्त भी इसी के सहारे जीते हैं
अच्छा तुम मेरे साथ विश्वासघात कर रही हो
नहीं द्रोपदी के पांच पति थे
मैं अपना पति सात कर रहीं हूं।

रविवार, 12 जून 2011

यूपीए से अभी अलग नहीं होगी डीएमके

यूपीए से अभी अलग नहीं होगी डीएमके- क्योंकि फिलहाल हमें एडीएमके के कोप से बचने का यहीं तरीका सही प्रतित होता है।

स्ंादेष के संपादक को निजी राय से बचने का संदेषा- क्यों ऐसी राय पार्टी में लोकतंत्र लाने में बाधक है।

सरकार का फरमान, हड़ताल असंवैधानिक - है लोकतंत्र में।
पुरूष नहीं बेंच सकेंगे महिलाओं के वस्त्र- हां लिंगभेद समाप्त करने के लिए यह कदम आवष्यक हो गया था।

सेना और आईएसआई लष्कर के मददगार- भाई किसी की मदद करना कहां का गुनाह है।

बाबा रामदेव की सेहत स्थिर, सरकार नहीं करेगी बात- क्योंकि वे सरकार की बात नहीं मानते हैं।

शनिवार, 11 जून 2011

अन्नाजी देश स्वतंत्र है जी

वैसे तो सुना है कि अन्ना हजारे बहुत विद्वान हैं। गांधीवादी कार्यकर्ता हैं। सत्य और अहिंसा के पूजारी हैं। उन्होंने अपने सत्य अहिंसा के बल पर न जाने कितने भ्रष्ट अधिकारियों की छुट्टी करा दी है। लेकिन जब वह भ्रष्टाचार से मुक्ति को दूसरी आजादी कहते हैं तो मुझे उनके ज्ञानी होने पर संदेह होता है। आखिर यह छोटी से बात उन्हें क्यों नहीं समझ में आती है कि देश स्वतंत्र है। यहां सबको कुछ भी करने की स्वतंत्रता है। यहां जिसकी जो इच्छा है कर रहा है और कर सकता है। देश में स्वतंत्रता है यह बात हर भ्रष्टाचारी तक जानता है। कालाबाजारी तक जानता है। यहां किसी दूसरी आजादी की कोई आवश्यकता नहीं। जो जैसा है वैसे रहने देना हीं असली आजादी है। किसी का जीवन बदलना तो प्राईवेसी में हस्तक्षेप है। क्या गीता का यह स्लोक उन्हें याद नहीं की कर्म तो प्रकृति के अनुसार होते हैं। अज्ञानी अपने को कर्ता मानते हैं। इसलिए आज जो भी घर में हाथ पे हाथ रखे बैठे हैं वे ज्ञानी हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि भ्रष्टाचार समाप्त करना हमारा काम नहीं हैं। जो लोग सड़कों पर निकलकर भ्रष्टाचार का जाप कर रहे हैं वे अज्ञानी हैं। चलिए मान भी लिया जाए कि अभी दूसरी आजादी बाकी है। तो क्या एक साथ जनता को इतनी खुशियां दे दोगे तो वे क्या पचा पायेंगे। क्या मारे खुशी के उनको हार्ट अटैक नहीं हो जाएगा। भूखे पेट रहने वाले को आप मलपूआ खिलाएंगे तो हाजमा बिगड़ नहीं जाएगा? उदाहरण के लिए अगर आपको मच्छर हीं नहीं काटेंगे तो मच्छरदानी लगाने का क्या सुख। तीसरी बात यह है कि संुदर सपने देखने का क्या हश्र होता है। जनता अच्छी तरह जानती है। हर बार वह सुंदर स्वप्न देखती हैं और हर बार वे टूट जाते हैं। इसलिए जनता अब भुलावे में नहीं आने वाली जो जैसा है उसे स्वीकार कर लेती है।
उनको लगता है कि अच्छे ख्वाब तो नेता भी दिखाते हैं। पर वे पूरा कहां होते हैं। इसलिए उनको अच्छा ख्वाब मत दिखाओ जी वैसे भी मौसम गर्मी का है। हजम नहीं होगा। तो अपयश आपके हक में आएगा।
देश में लोकतंत्र है यहां हर कोई स्वतंत्र है। जैसा कि बाबा रामदेव काला धन के विरूद्ध अभियान चलाने के लिए स्वतंत्र हैं। योगशिविर चलाने के लिए स्वतंत्र हैं। अनशन करने के लिए स्वतंत्र हैं। वैसे हीं सरकार बाबा की शाही आगवानी कराने के लिए स्वतंत्र हैं। बाबा का हर हालात में पटाने के लिए स्वतंत्र है। नहीं मानने पर शाम-दाम- दंड भेद दिखाने के लिए स्वतंत्र हैं। पुलिस आधी रात को लाठी बरसाने के लिए स्वतंत्र है। रामलीला मैदान डंडे के जोर पर खाली कराने के लिए स्वतंत्र है।
बाबा महिला वेश में भागने के लिए स्वतंत्र हैं। पांच सितारा होटल में बातचीत करने के लिए स्वतंत्र हैं।गुपचुप समझौते करने के लिए स्वतंत्र है। भक्तों को अंधेरे में रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
प्रधानमंत्री बाबा के खिलाफ पुलिस कारवाई को दूर्भाग्यपूर्ण बताने को स्वतंत्र है। फिर अंितंम विकल्प ठहराने को स्वतंत्र हैं। सोनियां जी मौन रहने को स्वतंत्र हैं। तथाकथित प्रगतिशील लोग बाबा को संप्रदायिक बताने को स्वतंत्र हैं। दिग्गी दादा ओसामा को ओसामाजी बताने को स्वतंत्र हैं। रामदेवजी को बिजनेसमैन साबित करने को स्वतंत्र हैं। बेरोजगार दर-दर की ठोकर खाने को स्वतंत्र हैं। किसान आत्महत्या करने को स्वतंत्र हैं। चोर चोरी और सीनाजोरी करने को स्वतंत्र हैं।
इतना पर भी आपको दूसरी आजादी जरूरी लगती है तो हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है। मांफ कीजिए शुभकामनाओं के सिवा आपको मैं कुछ नहीं दे सकता। क्योंकी टीवी पर रामलीला मैदान की रावणलीला को देखकर मैं सदमें से अभी उबरा नहीं हूं।

रविवार, 5 जून 2011

घर पर बीवी के सामने मुर्गा हो रहा हूं।

एक आषिक मिजाज पति की
एक पत्नी ने परीक्षा लेने को ठानी
एक कमसिन कन्या की रूप उसने बना ली
पहुंच गई पतिदेव के दफ्तर में नौकरी के बहाने
पतिदेव देख कमसीन कन्या को लार लगे टपकाने
अच्छेे पद का लालच उसे दिखाने
लट्टू देखकर पतिदेव को
वह लगी उनका उत्साह बढ़ाने
कभी लगी सकुचाने तो वह कभी लगाने षरमाने
कभी कभी वह अपना बत्तीसी लगी दिखाने

फिर षर्माती हुई बोली सर मुझे आप ं क्यों ऐसे देख रहें है
लगता है आप मुझमें कुछ निरेख रहें हैं
षायद आप मुझे अपने पैमाने पर परख रहे हैं
मेरा अंग निरख रहे हैं
मेरे हाथों पर अपना हाथ रख रहे हैं
षायद ऐसे हीं आप मेरा इंटरव्यू ले रहे हैं
ज्ुाबान से नहीं आप मुझे आंखों से तौल रहे हैं
मुंह से नहीं आप आंखों से बोल रहे हैं
मेरी समझ में आप कहने सें डर हैं
वे बोले
कमसिन बाला तुने बवाल कर डाला
तुने है मेरे दिल बर है डांका डाला
मै तेरा इंटरव्यू तो तब न लूंगा
जब तेरा बोस रहूंगा
मैं एक बार फिर अपने आदत से लाचार हो रहा हूं
े तुम्हे देखकर अपनां होष खो रहा हूं
मदहोष हो रहा हूं
स्वप्न लोक में तेरा बाहों में सो रहा हूं
बदलें में तेरा भाई बापा का जूंता चप्पल ढो रहा हूं
और घर पर बीवी के सामने मुर्गा हो रहा हूं।
और फिर ऐसा नहीं करने की कसमें खा रहा हूं।

बाबा भारी पड़ेंगे अन्ना पर

आतंकवादियों को खत्म करने के लिए सभी उपाय करेंगे- और ओसामा की तरह मुल्ला उमर को भी पाकिस्तान में ठहरायेंगे।

क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है भारत पर लष्कर का हमला- कैरी- हमारे धैर्य का जवाब नहीं हैं। धैर्य के क्षेत्र का हैं नबाब हमी।
अपमानजनक एसएमएस भेजने पर पाक में एक गिरफ्तार- नागरिक अधिकारों में इतनी भी कटौती ठीक नहीं।

मैं किसी भी महिला लेखक क¨ अपने बराबर नहीं मानता। यहां तक कि दिग्गज साहित्य्ाकार जेन आस्टिन भी मेरे बराबर नहीं हैं। वीएस नायपाॅल - यहीं तो आपकी महानता है सर
भ्रष्टाचार के विरूद्व है देष - पर क्या कह रहे हैं नरेष
तकनीक षरणम् गच्दामी- नही तो मागेंगे भिक्षामीं
सरकार लिख कर देगी तो सत्याग्रह खत्म करेंगे रामदेव- कितने एकड़ जमीन लिखने की बात कर रहे हैं आप।
बाबा भारी पड़ेंगे अन्ना पर- योगा करने से वजन बढ़ गया होगा।
सरकार की सांस फूली- बाबा के साथ योगा नहीं करोगे तो यहीं न होगा।
सरकारी जमीन से विधायकों की चांदी- फिर भी बन रहे हैं महात्मा गांधी।
प्लीज जांच की मांग करके हमें बदनाम न करेंः आईएसआई- हम बहुत पाक-साफ हैं।
आई पैड खरीदने के लिए किषोर ने गुर्दा बेंच दिया- मतलब आज के युवाओ की दषा और दिषा ठीक है।
पेरिस में मैच हारी सानियां पर जीत लिया यूरोप का दिल- मतलब वह मैच नहीं दिल जीतने गई थीं।
दिल्ली की गद्दी की कुंजी की तलाष - तो जाइए बाबा रामदेवजी के पास।
द्रमुक की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को बंदकर जयललिता ने दिया करूणा निधि को तोहफा- राजनीतिक षिष्टाचार तो होनी हीं चाहिये न।
बुरी दोस्ती मुसीबत में खत्म हो जाती है- लेकिन ज्ञान की प्राप्ति भी बुरे समय में हीं होती है।

गुरुवार, 2 जून 2011

गृहस्थ की जगह अब तुम बैराग्य लो

मैं एक दिन आॅफिस से कुछ पहले घर आया
घोड़ा बेंचकर बिस्तर पर नींद फरमाया

फिर मन हीं मन आई लव यू कविता कह बुदबुदाया
यह सुनकर पत्नी को गुस्सा आया
उसका अंग तमतमाया
डर के मारे बिस्तर पर सूसू हो आया
फिर उसने हाथों में झाड़ू उठाया
मैं भूत-भूत कह चिल्लाया
भागकर दरवाजे पर आया
उसने मुझे जोर से दौड़ाया
मैंने कहा कि सबिता मुझे मांफ कर दो।
मेरे साफ इंसाफ कर दो
सविता लगता है मुझपर
किसी प्रेतात्मा की साया है
उसकी भी तुम्हारी तरह विषाल काया है।
उसने हीं मुझसे सविता की जगह कविता कहलवाया
तेरे संग बैर बढ़वाया
उसने कहा कि चिंता न कर मैं तेरा संदेह दूर कर दूंगा
जब जी भरके तुझे मैं पींट दूंगा
तेरे सर से भूत उतर जाएगा
मेरे मन का गुब्बार भी निकल जाएगा।
मैंने अंतिम तीर चलाया
गीता का उपदेष पिलाया
सविता तुम एक बीर पुरूष की वीर पत्नी हो
तुमने कितनी बार है मेरा साहस बढ़ाया
हनुमान चालिसा का है पाठ सुनाया
वैसे सोंचो तो कविता और सविता में क्या अंतर है
क और स ने तुम्हें है भरमाया
अब द्वैत को तुम कर दो
सविता के हाथों तुम मुझे सुपुर्द कर दो
जगत माया है अब तुम जान लो
गृहस्थ की जगह अब तुम बैराग्य लो

बुधवार, 1 जून 2011

हास्य कविता

मेरा हास्य कवि बनना एक हादसा था
बस में एक मैडम जी से पड़ गया वास्ता था
बात उन दिनों कि है जब मैं कवांरा
लोगों की नजर में मैं एक आवांरा था
लेकिन मुझे तो लैला मजनू के प्यार की खोज थी
गलि से लेकर बस स्टैंड में रोज थी
ऐसे में एक दिन एक मैंडम जी मुझसे बस में टकरायीं
मेरे रोम- रोम में करेंट समायी
और मन में विचार कौंधा कि
मेरा थोबड़ा उन्हें भा गया है क्या भाई
फिर मैंने उनपर थोड़ी सी और नजर गड़ायी
अबकी बार वे थोड़ी सी षरमायी
लड़की हंसी तो पटीवाली बात मुझे याद आयी
फिर मोबाइल पर वे कुछ अंग्रेजी में गिटपिटाईं
जो बात मेरे भेजे में नहीं समायी
फिर मुसटंडो की जमात आयी
जी भर के उन सबों ने मेरी की पिटायी
और मुंह पर कालीख पोतकर
गदहा पर मेरी बारात निकलवायी
और गदहे को गदहा पर देखकर
गदहों ने जी भर कर ताली बजायी
इस प्रकार मैं हास्य कवि बन गया मेरे भाई।



हास्य व्यंग्य के सप्तरंगी रंग

दिल्ली में मिला बम - दिल्ली तो है दिलवालों की फिर काहें का गम।
मंत्री के आवास में चोरों ने हाथ साफ किया- चोर भी समझते हैं कि माल कहां भरा है।

हां या ना का रिमोट कंट्रोल खिलाडियों के हाथ होनी चाहिए- कपिल देव- फिर कांहेको खिलाडि़यों को मैच फिक्सिंग से रोका जा रहा है।

देष या क्लब क्रिकेटरों का चूनने दो- हां भाई जमाने का ख्याल रखो।
नोयडा में किसानों को कांग्रेस ने उकसाया- मायावती- और हमने तो सिर्फ गोली चलवाया।

पाॅप स्टार लेडी गागा हुई दिवालिया- वो भी अमेरिकी बैंकों की तरह बिना समझे लोन बांट रहीं थी क्या?

पाकिस्तानी पत्रकारों को हथियार रखने की छूटः रहमान मलिक- हां हमारा इरादा पाकिस्तान में हथियार रखने की छूट प्रत्येक नागरिक को देना है।