मंगलवार, 13 सितंबर 2011

आडवाणी की रथयात्रा पर भाजपा में मंथन

हमारी छवि एक नरम देष की बन गई है- इतने विस्फोंटों के आघात सहने के बाद भी क्या?

अब आर्किटेक्ट हीं पास कर देगा नक्षा- यानी बाबुओं का अब नहीं भरेगा बक्सा।


आडवाणी की रथयात्रा पर भाजपा में मंथन- कि अब सेकेंड जनरेषन लीडरषीप का क्या होगा।

भारत-पाक के खिलाड़ी आपस में खेलेंः आडवाणी- बाहर जाकर बदनामी करवाना ठीक नहीं है।

रोमांच के चरम पर मैच टाई- यानी बच गई जगहंसाई।

स्वामी ने करूणानीधि की आलोचना- तब तो उनकी साधना व्यर्थ है।

आपके खाने में नमक घटाएगी सरकार- मतलब सरकार एकदम तानाषाही पर उतर आई है।

थिंक पाॅजिटीव- जैसे कि ये बम विस्फोट हमारा क्या बिगाड़ लेंगे।

पब्लिक ले रही है बदमाषों से मोर्चा- पुलिस के जवानों ने है आराम करने को सोचा।

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