बुधवार, 28 सितंबर 2011

मैं रथ पर क्यों नहीं सवार हो सकता

पहले के जमाने राजा- महाराजा रथ की सवारी करते थे। संभ्रांत लोगों की भी सवारी का मुख्य साधन रथ था। आज के राजा-महाराजा भी उस षाही परम्परा को कायम रखे हुएं हैं। और सदा नही ंतो कभी-कभी रथ पर सवार होकर अपनी षौक पूरा कर हीं ले रहे हैं। जब साधु-सन्यासी तक रथ पर सवारी का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं तो मैं तो ठहरा सांसारिक व्यक्ति। मेरे अंदर भी रथ पर सवार होने की तीव्र इच्छा है। हवाई जहाज पर सवार होते-होते मन भर गया है। उसमें वैसा आकड्र्ढण नहीं रहा। क्योंकि वह लोगों का ध्यान खीचने में असमर्थ रहा है। आदमी फुर्र सा यहां से वहां पहुंच जाता है और लोग जान हीं नहीं पाते। टिकट दिखाना पड़ता है।
लेकिन मेरे रथ पे सवार होने की बात से कुछ लोगों को कुछ-कुछ होने लगा है। उनका कहना है कि रथ पर सवार होने के लिए मेरे पास पात्रता नहीं है। इसपर मेरा कहना है कि क्या और लोग जो रथ पर सवार हो रहे हैं वो आपको सर्टीफिकेट दे रहे हैं। जो आप मुझसे आषा रखते हैं। ऐसा नहीं कि केवल मेरा हीं रथ निकल रहा हो। सौ पचास रथ में मेरा रथ भी निकल जाएगा तो कौन सा आसमान टूट पड़ेगा।
आखिर बाप-दादा ने किस लिए जमीन-जायदाद छोड़ी है। मेरे सुख के लिए हीं न। मेरा सुख रथ में सवार होने में है। मैंने जायज-नजायज तरीके से धन किस लिए कमाया है।

आखिर मेेरे पास किस चीज की कमी है कि मैं रथ पर सवार नहीं हो सकता। मेरे पास धन है दौलत है । नौकर है चाकर है। मैं भी लोगों को सभा स्थल पर लाने के लिए गाडि़यों की व्यवस्था करवा सकता हूं। मेरी राजनीतिक योजना पाइप लाईन में हीं सही लेकिन है। मेरे पास भी चेले- चमचे हैं। मैं भी लोगों को पकवान खिला सकता हूं। मैं भी नोट बंटवा सकता हूं। अगर लोगों के पास समाज को कुछ देने के लिए है तो मेरे पास भी है। मेरा भी जीवन लोगों के भाग्योदय पर गहरा रिसर्च करने में बीता है। मेरे बताए रास्ते पर चलकर लोग रातो-रात अपना किस्मत चमका सकते हैं। मेरा भी रथ लोगों के जीवन में रंग लाएगा तरंग लाएगा। बेरोजगारों को रोजगार दिलाएगा। कई कार्यकर्ताओं का किस्मत चमकाएगा। उन्हें भीड़ जुटाने का अवसर दिलाएगा।
मैं भी आरक्षण का हिमायती हूं। मैं भी इसे जातिगत एवं वर्गगत आधार पर लागू करना चाहता हूं। क्योंकि आर्थिक आधार पर लागू करने से सही लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। मेरे पास भी भ्रष्टाचार मिटाने के फाॅर्मूले हैं। पाकिस्तान को ठीकाने लगाने के मंसूबे हैं।
मैं भी अच्छा वक्ता हूं। मैं भी विद्वता दिखाऊंगा। जनता को रिझाउंगा। हास्य-विनोद से लोगों को गुदगुदाऊंगा। वादों की डोज पिलाऊंगा। कम से कम महीने दिन रोज पिलाऊंगा। कल्पना लोक की सैर कराऊंगा।
आखिर सब अपनी मन की हसरत पूरी कर रहे हैं। तो मैं क्यों नहीं कर सकता। सब अपने मन का भड़ास निकालकर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकता। मेरे भी रथयात्रा के दूरगामी परिणाम होने जा रहा है। मेरी रथयात्रा भी इतिहास बनने जा रही है। मेरे रथ को कोई रोककर इतिहास रच सकता है।

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