रविवार, 11 दिसंबर 2011

हास्य कविता

भ्रष्ट्राचार आज आचार बन गया है।
नेताओं का षिष्टाचार बन गया है।
दिन-दुनी रात चैगुनी उन्नति का आधार बन गया है।
जाने क्यों अन्ना इसके खिलाफ हल्ला बोल रहे हैं।
जबकि लाखों बेरोजगारों का यह रोजगार बन गया है।

5 टिप्‍पणियां:

  1. जागृति लाने वाले व्यंग को सलाम।

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  2. जबकि लाखों बेरोजगारों का यह रोजगार बन गया है।---यही सच है...

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  3. आपने सच कहा है, व्यंग रचना के लिए आपको आभार।

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  4. भ्रष्टाचारी कह रहें हैं
    अभी भी संभल जाओ अन्ना,बन जाने दो हमें भी सेठ धन्ना.
    आपका क्या चला जायेगा जी,आप भी चूस लीजियेगा न गन्ना.

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