शनिवार, 14 जनवरी 2012

नेताजी का गुण गाता जा प्यारे


बेरोजगारी  का  भय नहीं सताएगा
नेताजी का गुण गाता जा प्यारे   
वे भवसागर पार लगायेंगे
तुम्हें  नोटों की गड्डी पर  सुलायेंगे 
तेरे दुःख दूर करने को घोटाला रचाएंगे
तिहाड़   में दिन बिताएंगे 
पैसा पानी की तरह बहायेंगे
तेरी किस्मत चमकायेंगे  
चुनाव जीतने पर क्षेत्र में झाँकने नहीं आएँगे 
पर  चमचों पर रहमत लुटाएँगे
तेरे माध्यम से वे  शासन को  चलाएंगे
उनकी  चुनावी नैया  पार लगाने को
तू दर- दर भटका जा प्यारे 
यहीं वह वक्त  है
तू बन  जा  नेताजी के आँखों का तारे  

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी 'ष' की समस्या का हल हुआ,
    अच्छा लगा.

    अच्छी मजेदार प्रस्तुति है आपकी.
    मकर सक्रांति की बधाई और शुभकामनाएँ.

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  2. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

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  3. पसन्द आया ,हमें पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

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